उज्जैन। सरकार प्रति दिन प्रति मरीज के भोजन पर 48 रुपए खर्च करती है। उज्जैन अस्पताल में इस योजना के तहत अधजली अध सिकी रोटी एवं फूड सेफ्टी नियमों को ताक पर रखकर मरीजों को भोजन परोसा जा रहा था। किचन में साफ सफाई का पूरी तरह अभाव था। फूड सेफ्टी विभाग ने सेंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं।
रविवार को हुई जांच की खास बात यह सामने आ रही है कि यह रूटीन प्रक्रिया के तहत की गई जांच के दौरान सामने आया है। इससे भी खास बात यह है कि फूड सेफ्टी विभाग के पदेन उपसंचालक का दायित्व भी स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ द्वारा ही संभाला जाता है। वर्तमान में डा.अशोक पटेल इस दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं ।
ये हुआ जांच में –
रविवार को फुड सेफ्टी की टीम निरीक्षक बसंतदत्त शर्मा के साथ चरक भवन जिला अस्पताल स्थित निःशुल्क भोजनशाला जाँच करने पहुँची। किचन में साफ-सफाई का अभाव मिला। मरीजों को दी जाने वाली रोटियाँ कच्ची दिखी। भोजन बनाने वाला स्टाफ भी ग्लब्स एवं अन्य सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहा था। इस पर खाद्य सामग्री की गुणवत्ता में सुधार एवं सुरक्षा मानकों के पालन के निर्देश दिए गए । इसके साथ ही फूड सेंपल लेकर जांच के लिए भोपाल लेब भेजे गए हैं। भोजन शाला संचालित करने वाली फर्म को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
ये देना है 48 रूपए प्रति दिन में-
सुबह का नाश्ताः पोहा, उपमा या ब्रेड, दूध 250 एमएल 10 रुपए
सलादः एक कटोरी (50 ग्राम) 2 रुपए
रोटी: चार नग (120 ग्राम) 5 रुपए
हरी सब्जी: एक कटोरी (100 ग्राम) 5 रुपए
दालः एक कटोरी (30 ग्राम) 5 रुपए
नमकीन दलियाः एक कटोरी (100 ग्राम) 3 रुपए
महंगाई के दौर में 48 रूपए में पौष्टिक आहार ?-
खास बात तो यह है कि महंगाई के दौर में जहां बाजार में 200 एमएल जूस 20 रूपए से कम में उपलब्ध नहीं है वैसी स्थिति में सरकारी अस्पतालों में भर्ती रोगियों की थाली में पौष्टिक आहार की उम्मीद करना बेमानी है। इसके तहत यह बात भी बेमानी है कि इतनी कम राशि में मरीजों की थाली में गुणवत्ता वाला भोजन परोसा जा रहा होगा। सरकार प्रति दिन प्रति मरीज के भोजन पर सिर्फ 48 रुपए खर्च करती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि महंगाई के दौर में इतनी कम धनराशि में मरीज को दिन में दो बार के नाश्ते और दो बार के खाने में क्या मिलता होगा ? पिछले तीन साल से स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अस्पताल अधीक्षक राशि बढ़ाकर 200 रुपए करने का प्रस्ताव दे रहे हैं। यह प्रस्ताव फाइलों में घूम रहा है।
-रूटीन जांच की प्रक्रिया का पालन किया गया है। ये सही है कुछ कमियां सामने आई हैं। गुणवत्ता वाला भोजन मरीजों को मिले इसके लिए सतत जांच की प्रक्रिया की जाती है। सामग्री जो उपयोग हो रही है उसे भी देखा जाता है। फूड सेफ्टी का पदेन उप संचालक का दायित्व भी हमारे पास ही है। सेंपल लिए गए हैं , समझाईश दी गई है। नोटिस देकर जवाब मांगा गया है।
-डा.अशोक कुमार पटेल ,सीएमएचओ,उज्जैन
